महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था, गीता में ऐसी सीख हैं जो छात्र जीवन को नई दिशा प्रदान करती है.
मित्रता का पाठः
सुदामा के पग पखारते कृष्ण हमें उस आदर्श में स्थापित होने की सीख प्रदान करते हैं. जहां हम पद, प्रतिष्ठा और मान पाकर भी अपने उन दोस्तों और लोगों को ना भूलें जो जिंदगी की दौड़ में परिस्थिति वश या किसी अन्य कारणों की वजह से उस स्थान तक नहीं पहुंच पाए हैं.
सफल लीडरः
कृष्ण बचपन से ही एक सफल लीडर की तरह हर मोर्चे पर जनता की मुसीबतें अपने सर पर लेते हुए नजर आएं. उन्होंने युवावस्था में यदुवंश का नेतृत्व किया, लेकिन इनके सबके बीच बड़ी बात जो हमें बहुत कुछ सिखाती है कि वो सिंहासन पर बैठकर कभी राजा नहीं बनें.
भगवान श्रीकृष्ण नेतृत्व तो सिखाते हैं लेकिन उनकी पवहुंच सत्ता नहीं बल्कि जनता के बीच रही. आज भी लोग अपने लीडर में उनके जैसे ही गुण खोजते हैं. ऐसे में युवावस्था के लोगों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि एक सच्चा लीडर कैसा होता है.
एक अच्छा स्पीकरः
एक अच्छा स्पीकर हमें हताशा के उस दौर से बाहर निकाल सकता हैं, जहां हम मुसीबत के सामने हथिय़ार डाल देते हैं. लेकिन एक अच्छे स्पीकर में कृष्ण जैसे योग और ज्ञान का समागम होना बहुत जरुरी है.
कुरुक्षेत्र के रण में हताश अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश देकर कृष्ण मानव समाज को ज्ञान और योग की शिक्षा भी देते हैं.
जुर्म के खिलाफ बोलने वालाः
अत्याचार करने वालों में अगर अपना मामा भी हैं तो कृष्ण ने उनका भी वध किया. इसके साथ ही हमें ये भी सिखाया कि जुर्म के खिलाफ आवाज उठाने की कोई उम्र नहीं होती.