सरकार ने खाने के तेल को लेकर एक बड़ा फ़ैसला लिया है। सरकार के इस फ़ैसले के बाद नियम आज से यानी 14 सितंबर से लागू हो चुका है। सरकार के इस फ़ैसले का असर किसानों और तेल की क़ीमतों पर पड़ेगा। सरकार इस फ़ैसले के जरिए जहां किसानों को फ़ायदा पहुँचाने वाली है तो वहीं तेल की कीमत बढ़ने से खाने पीने की कुछ चीजों के दाम में भी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
सरकार ने घरेलू तिलहन को सपोर्ट देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। भारत सरकार ने कच्चे और रिफ़ाइंड खाद्य तेलों पर बेसिक इंपोर्ट ड्यूटी में 20 फ़ीसदी की बढ़ोतरी की है। यह बढ़ोतरी आज यानी 14 सितंबर से लागू हो गई है, जिसके तहत रिफाइंड पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल के आयात पर अब 35.75 प्रतिशत ड्यूटी लगेगी, जो पहले 13.75 फ़ीसदी हुआ करती थी।
सरकार के इस फ़ैसले के बाद तेलों के कच्चे वेरिएंट पर भी असर दिखेगा। जिसके चलते कच्चे पाम तेल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर अब कुल 27.5 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगेगी, जिससे एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट सेस शामिल है, जो पहले 5.5 फ़ीसदी था. इस बढ़ोतरी का उद्देश्य आयात को ज़्यादा महँगा और कम कंपीटिटिव बनाकर स्थानीय तिलहन किसानों की रक्षा करना है.
ड्यूटीज़ बढ़ने के बाद घरेलू खाद्य तेल की क़ीमतों में बढ़ोतरी देखने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके चलते आने वाले समय में माँग में कमी आ सकती है और पाम, सोया तेल और सूरजमुखी तेल का आयात कम हो सकता है. यानि इस नये नियम से भले ही तिलहन किसानों को कुछ राहत मिले, लेकिन आने वाले दिनों में खाद्य तेल की क़ीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है.