उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में आज देश की सबसे बड़ी अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और दोनों पक्षों से कहा है कि वो अपनी दलीलें लिखित तौर पर अदालत में जमा करवाएं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के अध्ययन के लिए समय चाहिए.
उत्तर प्रदेश की सरकार ने सर्वोच्य अदालत के सामने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि आरक्षण पहले क्षैतिज फिर वर्टिकल आधार पर होना चाहिए था लेकिन यहां उसका उल्टा हो गया. अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई पर टिकी हुई है.
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में जून 2020 और जुलाई 2022 की सलेक्शन लिस्ट को रद्द करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को ये आदेश दिया था कि वो साल 2019 में हुई सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा के आधार पर 69 हजार शिक्षकों के लिए नए सलेक्शन लिस्ट तीन महीने में जारी करे.
हाईकोर्ट ने ये भी कहा था कि अगर कोई आरक्षित वर्ग का कैंडिडेट जनरल कैटेगरी के बराबर मेरिट हासिल करता है तो उसका सलेक्शन जनरल कैटेगरी में ही माना जाना चाहिए. हाईकोर्ट के इस आदेश के चलते बड़ी संख्या में शिक्षकों को अपनी नौकरी खोने का डर सताने लगा था.
याद रहे कि 69000 शिक्षक भर्ती को लेकर लंबे समय से प्रदेश की राजधानी लखनऊ में धरना दिया जा रहा है. कई बार वो मंत्रियों के आवास का घेराव भी कर चुके हैं. कुछ समय पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ अभ्यर्थियों से मुलाकात की थी और उन्हें जल्द ही समस्या के समाधान का भरोसा दिलाया.